तेरी याद में तन्हाई में
हर जख्म पुराना , आज भी दर्द का पैमाना लगता है
हर गुजरता हुआ लम्हा, मेरी मोहब्बत का जवां एहसास सा लगता है
मेरे आँगन में लगा फव्वारा, किसी सूखी हुई दरिया का किनारा लगता है
दिल में छुपा हर जज्बात, जाने क्यों आज फिर आवारा लगता है
तेरी याद में तन्हाई में
हर बात पुरानी, अभी भी जिंदगानी सी लगती है
तेरी यादों की खुशबु , आज भी महकती फूलों की फुलवारी सी लगती है
बुझती हुई शमा की रौशनी, आज फिर तारों की उजियाली सी लगती है
हर शख्स में छुपी हुई मोहब्बत, आज फिर बेगानी सी लगती है
तेरी याद में तन्हाई में .....
तेरी याद में तन्हाई में .....